'दोस्ती ''खुदा का दिया हुआ एक नायाब तोहफ़ा है जो रक्त बंधन ,और सूत्र बंधन से मुक्त होकर भी शक्तिशाली बंधन है। कहा जाता है कि दोस्ती उम्र ,जाति ,लिंगभेद ,और धर्म से परे होती है। विद्वानों ने कहा है की विचारो का मिलना ही दोस्ती की पहली शर्त है। प्रेमचंद के प्रिय पात्र अलग चौधरी और जुम्मन मियॉँ की दोस्ती की आज भी दूसरी मिसाल नही मिलती ,इसी तरह श्रीकृष्ण और सुदामा भी सदियों से आदर्श मित्र है। आज हम सब फ़ास्ट लाइफस्टाइल के आदी हो गए है। व्यस्ततम जीवनशैली ,ने रिश्तो की ऊष्मा को कम कर दिया है। और लोगो के बीच रिक्तता सी आ गयी है।
आज के इस मशीनी युग ने अपनी सिद्धता साबित करते हुए छोटे बड़े मशीनो के ''टच 'से रिश्ते जोड़ने का प्रभावी काम शुरू किया है। इसमें सोशल नेटवर्किंग सिस्टम सबसे ज्यादा मददगार साबित हुआ है। आज हर कोई इसमे व्यस्त नज़र आता है. ,मशरूफ़ियत का यह आलम है कि बेटा तीज त्योहारो में अपने माँ बाप को चरण छू कर नहीं बल्कि व्हॉट्अप से विश करना ज्यादा पसंद करता है। कम समय में ज्यादा काम करने की होड़ मची है। सोशल कॉन्टेक्ट्स की कमी , एकल छोटे परिवार ,बच्चो का पढाई ,नौकरी के लिए बाहर जाना जैसे कारणों से इन्सान एक दूसरे से काट गया है. ऐसे में इलेक्ट्रॉनिक माध्यमो द्वारा सोशल नेट वर्किंग ने कुछ बेशकीमती तोहफे दिए है। जिनमे ,फेसबुक ,ट्वीटर ,व्हाट्अप ,इंस्टाग्राम ,वाइबर आज स्मार्ट जनरेशन की शान बन गया है.या यू कहिये यही आज के ज़माने के सर्वोत्तम दोस्त है। ।
आज आप अपनी मर्जी से अपनी पसंद अपनी रुचि के मित्र चुनने की आजादी रखते है जिनके विचार आप से में मिलते हो ,उन्हें आप सहर्ष दोस्ती का निमंत्रण दे सकते है. उनसे चैटिंग कर ,उनसे बातचीत कर ,अपने फोटोज ,वीडिओज़ शेयर कर उन्हें अपना आत्मीय बना सकते है. एक परिचित अपने रिटायरमेंट के बात बहुत बोरियत महसूस कर रहे थे। उनकी पत्नी ने उन्हें स्मार्ट फोन गिफ्ट किया ,और बच्चो से फेसबुक , व्हाट्सअप, ट्वीटर ,ब्लॉगिंग की सारी जानकारी ली, और उसे एक्टिवेट किया.,.... बस फिर क्या था ,आज वे ,अपनी रूचि अनुसार धर्म ,ज्ञान अध्यात्म की एक पोस्ट रोज डालते है। कुछ ग्रुप्स से जुड़ कर अपने अनुभव मित्रो में बांटकर वे खुश है...
यूँ तो इस आभासी दुनिया लोगो की जीवन शैली बदल डाली है। वर्चुअल दुनिया सच्चाई से पर होती है। पर जहा दिल मिल जाये ,भावनाये एक हो जाये ,वही कल्पनाओं का नया संसार बनाया जा सकता है। जाने अनजाने मित्र कब जान से भी प्यारे हो जाते है ,यह पता ही नहीं चलता। ,एक
मित्र को उसके बीमारबच्चे के लिए ,किडनी की जरुरत थी। एक मैसेज ने उन्हें सेकड़ो समाधान बता दिए और उस बच्चे कीजान बच गयी। शुभकामनाओं के आदान प्रदान से और ,दुःख की गहरी संवेदनाओं से जुड़कर हम सबके ख़ास बन जाते है.बेतार की इस टेक्नॉलॉजी ने हम सब को एक मजबूत बंधन में बाँध दिया है.,जहा पराये भी अपने हो जाते है. आज विश्वबंधुत्व् की कसौटी पर आभासी दुनिया ने सबका विश्वास जीत लिया है। रिश्तो में अपनेपन की ऊष्मा है। खोखले होते खून के रिश्तो से बेहतर ये आभासी दुनिया के आभासी मित्र है। जो दूर होकर भी दिल के करीब है। ऐसे जीवंत मित्रो को सादर नमन ,जिन्होंने बहुतो के जीवन के अधूरेपन को पूरा कर दिया।आज दोस्ती की इस नयी शुरुआत का आज की वास्तविक दुनिया दिल से स्वागत कर रही है।
प्रेषिका ;ई.अर्चना नायडू